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सोमवार, अगस्त 15, 2016

बच सकेगी हमारी स्वतंत्रता है।


आप सभी को भारत के पावन पर्व स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं...
जो नहीं कहते  वंदे मातरम,
पाकिस्तानी झंडा लहराते हैं,
जो दे रहे हैं देश को गाली
वो कौन है? वो कौन हैं?
जो पनाह देते हैं, आतंकवादियों को,
भारत को खंडित करना चाहते हैं,
अफजल की फांसी का विरोध करने वाले,
वो कौन है,? वो कौन हैं?
ये वोही है, जिनके कारण,
हमलावर देश में आये,
कई वर्षों तक  यहां जुल्म किये,
मंदिर तक भी गिराए।
न हिंदू हैं वो,
न वो मुस्लमान हैं,
न उन्होंने कभी गीता पढ़ी है,
न पढ़ी कुराण है।
जब तक जिवित हैं, जयचंद यहां,
भारत मां को खतरा है,
इनकी जडें उखाड़ फैंको,
बच सकेगी हमारी स्वतंत्रता है।

शुक्रवार, जून 17, 2016

अब क्या करें?

शौक आदत बन गयी
अब क्या करें?
नशा है जहर
अब क्या करें?
आशाएं मां-बाप की
दर दर भटक रही,
उनके बिखरे  अर्मानों का,
अब क्या करें?
समझाया था बहुत
न सुनी तब  किसी की,
ओ समझाने वालों बताओ,
अब क्या करें?
न होष है खुद की
न पास है कोई हितेशी, 
 जीवन है अनुमोल,
अब क्या करें?
वो दोस्त  भी तबाह है
जिसके साथ धुआं उड़ाया,
जेब भी है  खाली,
अब क्या करें?
ऐ दोस्त तुने मुझे,
नशे की जगह जहर दिया  होता,
न जीना पड़ता इस हाल में,
अब क्या करें?


सोमवार, अगस्त 25, 2014

बोलो-बोलो पाकिस्तान...

कितनी बार शिकस्त है खाई,
रण छोड़ के कब कब भागे हो,
तबाही करके क्या पाया अब तक,
बोलो-बोलो पाकिस्तान...

कितने बच्चे भूखे हैं,
कितनी नारियां घुटन में मर्ती,
कितने मासूम बेमौत मर्ते,
बोलो-बोलो पाकिस्तान...

न तुम्हारा कोई धर्म- इमान,
न शिक्षा देता ये इस्लाम,
कौन है खुदा, जेहाद ये कैसा,
बोलो-बोलो पाकिस्तान...

हिंदुओं की सुनकर दशा,
थर-थर रुह कांपती है,
कब तक खून बहेगा मानवता  का,
बोलो-बोलो पाकिस्तान...

कहता भारत सुनो तुम से,
अमन ही हमारी शकती है,
खुशहाली चाहिये या संहार,
बोलो-बोलो पाकिस्तान...

गुरुवार, अक्टूबर 31, 2013

धरा मानव से कह रही है...



धरा मानव से कह रही है,
मुझे  तुमने बंजर   बनाया...
कर दिये जंगल बिलकुल  खाली,
नदियों का भी  जल सुखाया...

कहते हो तुम खुद को महान,
श्रेष्ठ है तुम्हारा ज्ञान, विज्ञान,
केवल चंद वर्षों के सुख के लिये,
सदियों का सुख लुटाया...

मिटा दिये तुमने असंख्य जीव,
टिकी हुई थी जिन पे मेरी नीव,
तुम्हारे नित्य नये आविष्कारों ने,
मुझे केवल असहाय बनाया...

पीड़ा से  जब मैं कराही,

हड़कंप  मचा हुई तबाही,
आंसू बहे तो बाड़ आयी,
हिली ही केवल,  भूकंप आया...

कब होगी तबाही, जान लिया,
दोषी भी खुद को मान लिया,
संभल जाओ वक्त अभी भी  है,
विनाश का निकट वक्त  है आया...





शनिवार, जुलाई 06, 2013

जाओ मेघों लौट जाओ...



बुलाया था हमने मेघा आना,
बरसकर हरियाली लाना,
तुम बरसे प्रलय बनकर,
जाओ मेघों लौट जाओ...

मिटा दिये हचारों इनसान,
घर शहर बना दिये शमशान,
धन संपत्ति नष्ट हो गयी,
जाओ मेघों लौट जाओ...

तुम क्या जानो मानव की पीड़ा,
तुम तो करते हो अपनी कृड़ा,
तबाही का ये मंजर देखो,
जाओ मेघों लौट जाओ...

खिलखिलाते थे बच्चे तुम्हे देखकर,
आती थी मुस्कान किसानों के मुख पर,
पर आज सभी कह रहे हैं,
जाओ मेघों लौट जाओ...