सुन ऐ बुलबुल,
उस गुल ने,
प्रेम किया था,
केवल तुम से...
बुलबुलें कयी आयी,
सामने उसके,
हृदय में उसके,
केवल तुम थे...
सर्वस्व किया,
तुम पर अर्पण,
न मांगा कुछ भी,
न चहा तुम से....
बुलबुल का स्वार्थ,
देखा सबने,
गुल पावन है,
जग में सब से...
very nice expressions .thanks
जवाब देंहटाएंबुलबुल का स्वार्थ,
जवाब देंहटाएंदेखा सबने,
गुल पावन है,
जग में सब से...
..... निस्वार्थ भाव की ही प्रसंशा है जग में !
वाह...!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!
शानदार रचना की प्रस्तुति
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