इस कड़ाके की सर्दी में,
वो इकठ्ठा परिवार ढूंढता हूं।
दादा दादी की कहानियां,
चाचा-चाची का प्यार ढूंढता हूं...
खेलते थे अनेकों खेल,
लगता था झमघट बच्चों का,
मोबाइल, टीवी के शोर में,
बच्चों का संसार ढूंढता हूं...
लगी रहती थी घर में,
अतिथियों से रौनक,
पल-पल सुनाई देती आहटों में,
कोई पल यादगार ढूंढता हूं...
बदल गया है अब समय,
आग नहीं अब हीटर जलते हैं,
न जाने क्यों मैं आज भी,
पुराना समय बार-बार ढूंढता हूं...
वो इकठ्ठा परिवार ढूंढता हूं।
दादा दादी की कहानियां,
चाचा-चाची का प्यार ढूंढता हूं...
खेलते थे अनेकों खेल,
लगता था झमघट बच्चों का,
मोबाइल, टीवी के शोर में,
बच्चों का संसार ढूंढता हूं...
लगी रहती थी घर में,
अतिथियों से रौनक,
पल-पल सुनाई देती आहटों में,
कोई पल यादगार ढूंढता हूं...
बदल गया है अब समय,
आग नहीं अब हीटर जलते हैं,
न जाने क्यों मैं आज भी,
पुराना समय बार-बार ढूंढता हूं...