अंधेरी ये निशा है,
भयानक हर दिशा है,
केवल दीप तो जलाओ,
इस अंधकार को मिटाओ...
उजड़ गया है देखो चमन,
मुर्झा गये हैं सब सुमन,
केवल पुष्प तो लगाओ,
उजड़े चमन को महकाओ...
बंजर हो रही देखो धरा,
हर खेत चाहिये हरा भरा,
पुनः सभी फसले उगाओ,
इस भुखमरी को मिटाओ...
जर जर हो गया देश आज,
पथ भ्रष्ट हो गया देखो समाज,
हर बच्चे को भरत, राम बनाओ,
अपने इस वतन को बचाओ...
बहुत सुन्दर .
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : भारतीय संस्कृति और कमल
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - सोमवार - 30/09/2013 को
जवाब देंहटाएंभारतीय संस्कृति और कमल - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः26 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra
बंजर हो रही देखो धरा,
जवाब देंहटाएंहर खेत चाहिये हरा भरा,
पुनः सभी फसले उगाओ,
इस भुखमरी को मिटाओ...
सबको मिल के ये काम करना होगा ... जागना होगा तभी संभव है ये ...