खोल गेट का ताला बेटा, मैं सड़क पे, तु बिसतर पे लेटा?
मत मुझ पर अत्यचार कर, मैं तु तेरी जननी हूं।
नौ मास तक कोख में पाला, हाथ पकड़ के चलना सिखाया,
पढ़ा लिखाकर शौहरत दिलायी, मैं तु तेरी जननी हूं।
सब कुछ है तेरा कुछ न मेरा, मांग लेता, सब कुछ दे देती।
क्यों घर से मुझे निकाल दिया, मैं तु तेरी जननी हूं।
कल भूखी रही मैं तेरे लिये, तु रोटी न देता मैं चुप रह जाती,
ये घर है मेरे प्यार का मन्दिर, मैं तु तेरी जननी हूं।
सोचा था बेटा राम होगा, रावण ने भी मां की पूजा की,
लोगगैर पीड़ितों की पीड़ा हरते हैं, मैं तु तेरी जननी हूं।
कल तुझ पर हंसेंगे सब, मुझे सड़क पर देखकर,
कोई मां बेटा न चाहेगी, मैं तु तेरी जननी हूं।