आज हर बहन खुद को
असुर्क्षित महसूस कर रही है।
राखी बांधते हुए
अपने भाइयों से कह रही है।
केवल मेरी ही नहीं,
हर लड़की की करना रक्षा,
भयभीत है आज सभी,
सभी को चाहिये सुर्क्षा।
जानते हो तुम भया,
दुशासन खुले घूम रहे हैं,
अकेली असहाय लड़कियों को,
तबाह करने के लिये ढूंढ़ रहे हैं।
ये रूपए, उपहार,
मुझे नहीं चाहिये,
जो मिले मां-पिता से
तुम में वो संस्कार चाहिये।
ये रक्षा का अटूट बंधन,
भारत में है सदियों पुराना,
मुझे ये वचन देकर
तुम भी इसे सदा निभाना।
आप सभी को पावन पर्व रक्षाबंधन की असंख्य शुभकामनाएं...
असुर्क्षित महसूस कर रही है।
राखी बांधते हुए
अपने भाइयों से कह रही है।
केवल मेरी ही नहीं,
हर लड़की की करना रक्षा,
भयभीत है आज सभी,
सभी को चाहिये सुर्क्षा।
जानते हो तुम भया,
दुशासन खुले घूम रहे हैं,
अकेली असहाय लड़कियों को,
तबाह करने के लिये ढूंढ़ रहे हैं।
ये रूपए, उपहार,
मुझे नहीं चाहिये,
जो मिले मां-पिता से
तुम में वो संस्कार चाहिये।
ये रक्षा का अटूट बंधन,
भारत में है सदियों पुराना,
मुझे ये वचन देकर
तुम भी इसे सदा निभाना।
आप सभी को पावन पर्व रक्षाबंधन की असंख्य शुभकामनाएं...