स्वागत व अभिनंदन।

गुरुवार, अगस्त 18, 2016

राखी बांधते हुए, अपने भाइयों से कह रही है।

आज हर बहन खुद को
असुर्क्षित महसूस कर रही है।
राखी बांधते हुए
अपने भाइयों  से कह रही है।
केवल मेरी ही नहीं,
हर लड़की की    करना रक्षा,
भयभीत है आज सभी,
 सभी को चाहिये सुर्क्षा।
जानते हो तुम भया,
 दुशासन खुले   घूम रहे  हैं,
अकेली असहाय लड़कियों को,
तबाह करने के लिये  ढूंढ़ रहे  हैं।
 ये  रूपए, उपहार,
 मुझे नहीं चाहिये,
जो मिले  मां-पिता  से  
तुम में वो संस्कार चाहिये।
ये रक्षा का  अटूट बंधन,
भारत में है  सदियों पुराना,
मुझे ये वचन देकर
तुम भी इसे सदा निभाना।
आप सभी को पावन पर्व रक्षाबंधन की असंख्य शुभकामनाएं...

मंगलवार, अगस्त 16, 2016

हे भारत! आज तुम बिलकुल अकेले हो...

हे भारत
आज तुम बिलकुल अकेले हो,
इस महाभारत के रण में,
न कृष्ण है
न अर्जुन,
न धर्मराज,
आज विदुर भी,
तुम्हारा हित नहीं चाहता।
भिष्म द्रौण
और कृपाचार्य की निष्ठा,
आज मात्रभूमि के प्रति नहीं,
कुर्सी के प्रति है...
आज भी जंग भी,
सिंहासन के लिये ही है,
पर आज के राजा,
तुम्हारी खुशहाली नहीं,
अपनी खुशहाली चाहते हैं,
अब सत्य कोई नहीं बोलते,
न टीवी चैनल, न अखबार,
न लेखक न कवि,
न विद्वान न ज्ञानी,
इस लिये जंता भी  भ्रमित है।
सुभाष जैसों को आज भी,
कहीं नजरबंद किया जा रहा है...

सोमवार, अगस्त 15, 2016

बच सकेगी हमारी स्वतंत्रता है।


आप सभी को भारत के पावन पर्व स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं...
जो नहीं कहते  वंदे मातरम,
पाकिस्तानी झंडा लहराते हैं,
जो दे रहे हैं देश को गाली
वो कौन है? वो कौन हैं?
जो पनाह देते हैं, आतंकवादियों को,
भारत को खंडित करना चाहते हैं,
अफजल की फांसी का विरोध करने वाले,
वो कौन है,? वो कौन हैं?
ये वोही है, जिनके कारण,
हमलावर देश में आये,
कई वर्षों तक  यहां जुल्म किये,
मंदिर तक भी गिराए।
न हिंदू हैं वो,
न वो मुस्लमान हैं,
न उन्होंने कभी गीता पढ़ी है,
न पढ़ी कुराण है।
जब तक जिवित हैं, जयचंद यहां,
भारत मां को खतरा है,
इनकी जडें उखाड़ फैंको,
बच सकेगी हमारी स्वतंत्रता है।

सोमवार, अगस्त 01, 2016

नहीं आयेगा, अब वो सावन...

न बच्चों के हाथ में,
कागज की कश्तियाँ
न इंतजार है,
परदेस से   पिया का।
नहीं दिखते अब
   झूलें बागों में,
  न मेलों मे रौनक,
न तीज त्योहारों में।
अब तो सावन
डराता है,
विक्राल रूप
दिखाता है।
कहीं बाड़ आती है,
कहीं फटते हैं बादल,
होती है प्रलय,
करहाते हैं मानव।
सूखे नाले भी
कोहराम मचाते हैं,
गांव, शहर,
बहा ले जाते हैं।
न वो हरियाली,
न वो रौनक,
नहीं आयेगा,
अब वो सावन...