मन का मंथन [man ka manthan]
मैं अकेला हूँ , लेकिन फिर भी मैं हूँ.मैं सबकुछ नहीं कर सकता , लेकिन मैं कुछ तो कर सकता हूँ, और सिर्फ इसलिए कि मैं सब कुछ नहीं कर सकता , मैं
वो करने से पीछे नहीं हटूंगा जो मैं कर सकता हूँ.-हेलेन केलर
यहां प्रकाशित रचनाएं मेरी अपनी हैं।
ये सभी प्रकार की साहित्य विधाओं में प्रयुक्त शिल्प, छंद, अलंकार और शैली आदि से बिलकुल मुक्त है। ये केवल मेरे मन का मंथन है।
स्वागत व अभिनंदन।
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