नहीं करते कल्पना जिसकी,
जीवन में वो भी घट जाता है,
ये कैसे हुआ, क्यों हुआ,
आदमी सोचता रह जाता है....
नहीं जानता ये मनुज,
कल क्या होने वाला है,
वो तो अपने हिसाब से,
शुभ-शुभ सोचता जाता है.....
हमने अलिशान महल को,
खंडर होते देखा है,
हरे-भरे उपवन को भी,
बंजर होते देखा है....
होनी तो होकर रहती है,
मानव चाहे जो भी कर,
वक्त एक दिन बदलेगा,
रख भरोसा ईश्वर पर.....
जीवन में वो भी घट जाता है,
ये कैसे हुआ, क्यों हुआ,
आदमी सोचता रह जाता है....
नहीं जानता ये मनुज,
कल क्या होने वाला है,
वो तो अपने हिसाब से,
शुभ-शुभ सोचता जाता है.....
हमने अलिशान महल को,
खंडर होते देखा है,
हरे-भरे उपवन को भी,
बंजर होते देखा है....
होनी तो होकर रहती है,
मानव चाहे जो भी कर,
वक्त एक दिन बदलेगा,
रख भरोसा ईश्वर पर.....
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (08-12-2017) को "मेरी दो पुस्तकों का विमोचन" (चर्चा अंक-2811) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत खूबसूरत रचना .
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबधाई
नमस्ते, आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
जवाब देंहटाएं( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरूवार 21-12-2017 को प्रकाशनार्थ 888 वें अंक में सम्मिलित की गयी है। प्रातः 4:00 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक चर्चा हेतु उपलब्ध हो जायेगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
आशावादी दृष्टिकोण से सज्जित जीवन की धारणाओं से परीचित कराती खूबसूरत रचना... शुभकामनाएं आपको।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना कुलदीप जी।
जवाब देंहटाएंसमय हो बलवान,समय ही देत है ज्ञान।
सुन्दर
जवाब देंहटाएंलाजवाब
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंजी आदरणीय कुलदीप जी -- जीवन का मर्मान्तक और कटु सत्य यही है कि होनी कभी टलती नहीं | सब समय की कृपा पर निभर रहता है | सराहनीय सार्थक रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई |
जवाब देंहटाएंउत्तर देंहटाएं
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 04 अक्टूबर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंजीवन का कटु सत्य।
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