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शुक्रवार, जनवरी 27, 2017

गणतंत्र का अर्थ, अब जान गये।

जो समझते रहे हमें वोट,
हार उन्हे पहनाते रहे,
गणतंत्र-दिवस मनाते-मनाते,
 गणतंत्र का अर्थ, अब जान गये।
दिया किसी ने आरक्षण,
किसी ने सस्ती दालें दी,
खाकर सभाओं में लड्डू,
बस तालियां बजाते रहे,
गिराकर मंदिर-मस्जिद,
बस करा दिये दंगे,
उनको तो मिल गया राज,
हम व्यर्थ ही खून बहाते रहे।
हीरन सिंह  भी  एक  साथ,
रहते थे राम राज्य में,
हम सब तो हैं इनसान,
क्यों नफरत के शूल बिछाते रहे।
न देंगे हम अब वोट,
जाति, धर्म क्षेत्र के नाम पर,
पटेल, शास्त्रि की जगह हम,
गिरगिट, उलुओं को  जिताते रहे।

2 टिप्‍पणियां:

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