स्वागत व अभिनंदन।

बुधवार, जनवरी 18, 2017

इस कड़ाके की सर्दी में... 

इस कड़ाके की सर्दी में,
वो इकठ्ठा परिवार ढूंढता   हूं।
 दादा दादी की कहानियां,
चाचा-चाची का प्यार ढूंढता   हूं...
खेलते थे अनेकों खेल,
लगता था झमघट बच्चों का,
मोबाइल, टीवी के शोर में,
बच्चों का संसार ढूंढता  हूं...
लगी रहती थी घर में,
अतिथियों  से रौनक,
पल-पल सुनाई देती आहटों में,
कोई पल यादगार ढूंढता   हूं...
बदल गया है अब समय,
 आग नहीं  अब हीटर जलते हैं,
न जाने क्यों मैं आज भी,
पुराना समय बार-बार ढूंढता हूं...

9 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति हरिवंश राय 'बच्चन' और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। सादर ... अभिनन्दन।।

    जवाब देंहटाएं
  2. अपनों के बीच प्यारे पल वे दिन ..इसलिए याद आते हैं बार बार ..
    बहुत सुन्दर

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर रचना

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर रचना

    जवाब देंहटाएं
  5. सहीं कहां ......... आज वो पल कहीं खो गए हैं
    http://savanxxx.blogspot.in

    जवाब देंहटाएं
  6. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 04 अक्टूबर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  7. न जाने क्यों मैं आज भी,
    पुराना समय बार-बार ढूंढता हूं...।
    वाह!!!
    बहुत लाजवाब।

    जवाब देंहटाएं

ये मेरे लिये सौभाग्य की बात है कि आप मेरे ब्लौग पर आये, मेरी ये रचना पढ़ी, रचना के बारे में अपनी टिप्पणी अवश्य दर्ज करें...
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ मुझे उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !