स्वागत व अभिनंदन।

बुधवार, फ़रवरी 01, 2017

तुम बैठे हो आसन पर आज हम शोर मचाएंगे,

तुम बैठे हो आसन  पर
आज हम शोर मचाएंगे,
तुम्हारे अच्छे कामों को भी,
मिट्टी में ही  मिलाएंगे...
तुमने भी यही किया,
अब हम भी यही करेंगे,
पहले तुमने हमे गिराया,
अब फिर   तुम्हे गिराएंगे...
जंता तो है घरों में बैठी,
वो क्या जाने सत्य क्या है,
किसी पर झूठे आरोप लगे हैं,
कोई दोषी  भी बच जाएंगे...
कभी जो  गले मिलते थे,
आज हाथ भी नहीं मिलाते,
ये राजनितिक समिकरण है भाई,
क्या पता फिर एक हो जाएंगे...
कभी दल बदला, कभी दल बनाया,
कभी गधे को भी बाप बनाया,
जानते हैं ये जनता को,
कुछ दिनों में सब भूल जाएंगे...


11 टिप्‍पणियां:

  1. आपके द्वारा प्रस्तुत पांच लिंकों का आनंद पोस्ट की लिंक मेरे ब्लॉग से नहीं खुल रही है । एक बार पहले भी ऐसा ही अनुभव और भी मेरा रहा है । यदि कोई तकनीकी समस्या हो तो कृपया उसे चैक करलें । धन्यवाद सहित...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. देख लिजिये...
      अब हमारा ब्लौग https://www.halchalwith5links.blogspot.ccom हमारे ब्लौग का यही लिंक है। अगर किसी प्रकार की और समस्या आए तो अवश्य बताएं।

      हटाएं
  2. जनता को मूर्ख बना ही कर ये पाखंडी अपना उल्लू सीधा करते हैं .

    जवाब देंहटाएं
  3. जनता को मूर्ख बना ही कर ये पाखंडी अपना उल्लू सीधा करते हैं .

    जवाब देंहटाएं
  4. मनमोहक सुन्दरतम रचना। बहुत प्रभावी लिखते हैं कुलदीप जी।
    बहुत खूब। नमन आपको।

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर प्रस्तुति ..... Mere blog ki new post par aapka swagat hai.

    जवाब देंहटाएं
  6. साथॆक प्रस्तुतिकरण......
    मेरे ब्लाॅग की नयी पोस्ट पर आपके विचारों की प्रतीक्षा....

    जवाब देंहटाएं
  7. Nice post keep posting and keep visiting on kahanikikitab.blogspot.in

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत प्रभावपूर्ण रचना......
    मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपके विचारों का इन्तज़ार.....

    जवाब देंहटाएं

ये मेरे लिये सौभाग्य की बात है कि आप मेरे ब्लौग पर आये, मेरी ये रचना पढ़ी, रचना के बारे में अपनी टिप्पणी अवश्य दर्ज करें...
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ मुझे उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !