शौक आदत बन गयी
अब क्या करें?
नशा है जहर
अब क्या करें?
आशाएं मां-बाप की
दर दर भटक रही,
उनके बिखरे अर्मानों का,
अब क्या करें?
समझाया था बहुत
न सुनी तब किसी की,
ओ समझाने वालों बताओ,
अब क्या करें?
न होष है खुद की
न पास है कोई हितेशी,
जीवन है अनुमोल,
अब क्या करें?
वो दोस्त भी तबाह है
जिसके साथ धुआं उड़ाया,
जेब भी है खाली,
अब क्या करें?
ऐ दोस्त तुने मुझे,
नशे की जगह जहर दिया होता,
न जीना पड़ता इस हाल में,
अब क्या करें?
अब क्या करें?
नशा है जहर
अब क्या करें?
आशाएं मां-बाप की
दर दर भटक रही,
उनके बिखरे अर्मानों का,
अब क्या करें?
समझाया था बहुत
न सुनी तब किसी की,
ओ समझाने वालों बताओ,
अब क्या करें?
न होष है खुद की
न पास है कोई हितेशी,
जीवन है अनुमोल,
अब क्या करें?
वो दोस्त भी तबाह है
जिसके साथ धुआं उड़ाया,
जेब भी है खाली,
अब क्या करें?
ऐ दोस्त तुने मुझे,
नशे की जगह जहर दिया होता,
न जीना पड़ता इस हाल में,
अब क्या करें?
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " सुपरहिट फिल्मों की सुपरहिट गलतियाँ - ब्लॉग बुलेटिन " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया हताशा की रचना।
समझाने वालों ने तो बहुत समझाया, तूही न समझा तो,
वे अब क्या करें।