स्वागत व अभिनंदन।

रविवार, अगस्त 26, 2018

...उसकी आंखों से देख रहा हूं......

मेरे पास
नहीं थी आंखे,
पर उन दोनों के पास ही
 आंखे थी......
एक की आंखों ने
मेरी बुझी हुई
 आंखे देखी
...छोड़ दिया मझधार में मुझे.....
एक की आंखों ने
बुझी हुई आंखों में भी
अपने लिये प्यार देखा,
.... कहा, मेरी आंखे हैं तुम्हारे लिये.....
मेरी बुझी हुई  आंखों ने भी
इनकी आंखों में
उनकी आंखों की तरह
...कभी लोभ नहीं देखा.....
खुशनसीब हूं मैं
जो संसार को
अपनी आंखों से नहीं
...उसकी आंखों से देख रहा हूं......

11 टिप्‍पणियां:

  1. आखें होते हुऐ भी
    कुछ नहीं देख पाना
    आखें नहीं होते हुऐ भी
    सब कुछ देख ले जाना

    बहुत सुन्दर।

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  2. एक की आंखों ने
    बुझी हुई आंखों में भी
    अपने लिये प्यार देखा,
    .... कहा, मेरी आंखे हैं तुम्हारे लिये.....
    बहुत खूब ....,

    जवाब देंहटाएं

  3. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक २७ अगस्त २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  4. प्रिय कुलदीप जी -- एक ने आँखों के लिए एक अत्यंत कोमल ह्रदय का तिरस्कार किया तो दूसरे ने उस उद्दातमना को उसकी स्नेहमयी भावनाओं से पहचाना | वाह --!!!! समर्पण और अगाध प्रेम की इस गाथा को नमन !! उन पारखी आँखों को नमन जिसने उस चीज का चयन किया जिसके बिना दुनिया में कुछ नहीं -- वह है निर्मल प्रेम !!! आपको बधाई और अनंत शुभकामनाएं - ये अनुराग अक्षुण हो |

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  5. बहुत सुन्दर .
    मर्मस्पर्शी रचना .बधाई हो आपको

    जवाब देंहटाएं
  6. अद्भुत अप्रतिम!
    भावों का गहनतम गठन और बेमिसाल अभिव्यक्ति।
    अभिनव रचना लघु और हृदय को छूती।

    जवाब देंहटाएं
  7. नमस्ते,

    आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
    ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
    गुरुवार 29 नवम्बर 2018 को प्रकाशनार्थ 1231 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।

    प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
    चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
    सधन्यवाद।

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  8. मन छूती बेहद हृदयस्पर्शी रचना कुलदीप जी👌

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  9. वाह!!हृदयस्पर्शी रचना !!

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  10. वाह ! स्नेह से ओतप्रोत हृदयस्पर्शी रचना
    सादर

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  11. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 31 दिसम्बर 2019 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं

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