किसान आज से नहीं,
सदियों से आत्महत्या कर रहे हैं,
उगाते तो हम अनाज हैं,
पर खुद भूखे मर रहे हैं।
मैंने एक और किसान कि
आत्महत्या के बाद
आंदोलन कर रही भीड़ के
एक बूढ़े किसान से पूछा
वो किसान क्यों मरा?
"बेटा वो मरा नहीं
आज तो वो जिवित हुआ,
मरा तो वो पहले कई बार,
एक बार नहीं हजार बार
न तब कोई आंदोलन हुए,
न कोई चर्चा,
ये केवल वोट के भूखे,
इस आग को सुलगा रहे हैं"
उगाते तो हम अनाज हैं,
पर खुद भूखे मर रहे हैं।
वो बुढ़ा किसान
कांपते स्वर में फिर बोला,
"ये आंदोलन थम जाएगा,
एक और किसान की आत्महत्या तक,
यही हुआ है, होगा भी यही,
बंटे हुए हैं जब तक किसान,
जब तक हम सभी किसान,
आत्महत्या कर रहे किसानों की पीड़ा को
अपनी पीडा नहीं मान लेते,
आंदोलन हम स्वयम् नहीं,
इशारों से करते रहेंगे,
तब तक किसान भी
आत्महत्या करते ही रहेंगे।
हमे आपस में बांट कर,
वो कुर्सी के लिये पथ बना रहे हैं"
उगाते तो हम अनाज हैं,
पर खुद भूखे मर रहे हैं।
सदियों से आत्महत्या कर रहे हैं,
उगाते तो हम अनाज हैं,
पर खुद भूखे मर रहे हैं।
मैंने एक और किसान कि
आत्महत्या के बाद
आंदोलन कर रही भीड़ के
एक बूढ़े किसान से पूछा
वो किसान क्यों मरा?
"बेटा वो मरा नहीं
आज तो वो जिवित हुआ,
मरा तो वो पहले कई बार,
एक बार नहीं हजार बार
न तब कोई आंदोलन हुए,
न कोई चर्चा,
ये केवल वोट के भूखे,
इस आग को सुलगा रहे हैं"
उगाते तो हम अनाज हैं,
पर खुद भूखे मर रहे हैं।
वो बुढ़ा किसान
कांपते स्वर में फिर बोला,
"ये आंदोलन थम जाएगा,
एक और किसान की आत्महत्या तक,
यही हुआ है, होगा भी यही,
बंटे हुए हैं जब तक किसान,
जब तक हम सभी किसान,
आत्महत्या कर रहे किसानों की पीड़ा को
अपनी पीडा नहीं मान लेते,
आंदोलन हम स्वयम् नहीं,
इशारों से करते रहेंगे,
तब तक किसान भी
आत्महत्या करते ही रहेंगे।
हमे आपस में बांट कर,
वो कुर्सी के लिये पथ बना रहे हैं"
उगाते तो हम अनाज हैं,
पर खुद भूखे मर रहे हैं।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (25-06-2016) को "हिन्दी के ठेकेदारों की हिन्दी" (चर्चा अंक-2649) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत मर्मस्पर्शी
जवाब देंहटाएंआपने बहुत ही खूबसूरती के साथ अपने इन भावों को प्रस्तुत किया हैं।
जवाब देंहटाएंनमस्ते, आपकी यह प्रस्तुति "पाँच लिंकों का आनंद" ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में गुरूवार 05-10-2017 को प्रकाशनार्थ 811 वें अंक में सम्मिलित की गयी है। चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर। सधन्यवाद।
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव।
जवाब देंहटाएंमर्मस्पर्शी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही मर्म स्पर्शी रचना...
जवाब देंहटाएंदिल को छू लेने वाली कविता. लाज़वाब. इन मुद्दों पर लिखना समय kee मांग है. सादर
जवाब देंहटाएंगंभीर परिस्थिति ! विचारणीय ,आभार
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