सोमवार, अप्रैल 28, 2014

वक्त देखो ये कैसा आया...



कुत्ते को बिस्तर से  गोदी में उठाया,
भोजन दिया, , फिर नहलाया,
फिर तैयारी के साथ, घुमने चले,
कुत्ते को भी गाड़ी में बिठाया।
फिर कुत्ते को एक केला दिया,
छिलका सड़क पर गिराया।
केले का छिलका देखकर,
भूखा बालक दौड़के आया,
भूख मिटाई खाकर छिलका,
वक्त देखो ये कैसा आया...
 

बुधवार, अप्रैल 16, 2014

गठबंधन की सरकार बनाएं...



कौन हैं दोस्त, शत्रु  कौन हैं,
इस प्रश्न पर सभी मौन हैं,
272 का हैं लक्ष्य पाना,
सिंह,  हीरन  को है,  साथ आना,
गिले शिकवे सब भूल जाएं,
गठबंधन की सरकार बनाएं...

जंता तो दे चुकी है वोट,
अब चाहो तो तुम ले लो नोट,
देंगे तुम्हे मंत्रि पद,
बढ़ जाएगा तुम्हारा भी कद,
खाया है सब ने, हम भी खाएं,
गठबंधन की सरकार बनाएं...

पांच वर्ष का समय,  नहीं है कम,
पा जाएं सत्ता, फिर कैसा गम,
पैसा असीम  है, सत्ता नशवर,
आरोप, दंड,  भी हैं नशवर,
समय अभी हैं, न बाद में पछताएं,
गठबंधन की सरकार बनाएं...


बुधवार, अप्रैल 02, 2014

अंजान नहीं, हम जान गये



अंजान नहीं, हम जान गये,
हर चेहरे को पहचान गये।
शास्त्रि से देशभक्त आज भी हैं,
वो बेवजह ही बदनाम हो गये...
कहीं क्षेत्रवाद, कहीं वंश वाद,
कोई छाड़ू उठाकर हुआ  आवाद,
झूठे वादों सेसिंहासन पाया,
जीतने पर भगवान हो गये...
फूलों के हार भी  पहनाए,
चर्णों में तुम्हारे मस्तक झुकाए,
जो कहा, वो कुछ भी न किया,
पांच वर्ष भी तमाम हो गये...
वोट मांगने का बदला है  अंदाज,
जान गयी जंता, न मिलेगा ताज,
जनसेवक चाहिये आज हिंद को,
भाषण, नुस्के नाकाम हो गये...