मैं करण हूं
मुझे याद है
अपनी भूलों पर
मिले हर श्राप
पर मैं मुक्त हो चुका था
हर श्राप से।
मैंने तो बस
सब कुछ लुटाया ही था
किसी से कुछ नहीं मांगा,
अपनी मां से भी नहीं।
हे कृष्ण
तुम साक्षी हो....
मैं नहीं जानता
ये वंश भेद का
श्राप मुझे किसने दिया
न मैं ये जानता हूं,
ये श्राप मुझे क्यों मिला
न निवारण ही जानता हूं।
ये श्राप मुझे
मेरे हर जन्म में
मेरी योग्यता पर
प्रश्न चिन्ह लगाता है।
कल सूत पुत्र था
और आज क्षत्रीय....
कल रंगभूमि में
भी मेरा वंश पूछा गया था
आज हर साक्षातकार में
मेरी जाति देखी जाती है।
सब जानते थे
सर्वश्रेष्ट धनुर धारी हूं मैं
आज भी मेरे पास
अनुभव, नंबर अधिक है सब से।
मैं कल भी छला गया था
और आज भी।
ये जाति वंश का भेद
बाधक है प्रगती में
मारता है योग्यता को
बांटता है राष्ट्र को....
मुझे याद है
अपनी भूलों पर
मिले हर श्राप
पर मैं मुक्त हो चुका था
हर श्राप से।
मैंने तो बस
सब कुछ लुटाया ही था
किसी से कुछ नहीं मांगा,
अपनी मां से भी नहीं।
हे कृष्ण
तुम साक्षी हो....
मैं नहीं जानता
ये वंश भेद का
श्राप मुझे किसने दिया
न मैं ये जानता हूं,
ये श्राप मुझे क्यों मिला
न निवारण ही जानता हूं।
ये श्राप मुझे
मेरे हर जन्म में
मेरी योग्यता पर
प्रश्न चिन्ह लगाता है।
कल सूत पुत्र था
और आज क्षत्रीय....
कल रंगभूमि में
भी मेरा वंश पूछा गया था
आज हर साक्षातकार में
मेरी जाति देखी जाती है।
सब जानते थे
सर्वश्रेष्ट धनुर धारी हूं मैं
आज भी मेरे पास
अनुभव, नंबर अधिक है सब से।
मैं कल भी छला गया था
और आज भी।
ये जाति वंश का भेद
बाधक है प्रगती में
मारता है योग्यता को
बांटता है राष्ट्र को....