बालक बनकर
जब दुनिया में आया था
स्वागत किया था सबने
बिना कुछ किये ही
मिला था सब कुछ
उमीदें थी सब को
भविष्य का
अंकुर समझकर
हर इच्छा
पूरी हुई थी तब.....
जवानी में
अथक काम करके
महल बनाए
खूब पैसा कमाया
न तपती धूप
से डगमगाया
न शरद रातों
को ही सोया
काम किया बस
कल के लिये...
देखते ही देखते
आ गया गल भी
यानी तीसरा दिन
जीवन का
ये तीसरा दिन
कल के काम का नहीं है
इस लिये अर्जुन
बिछा रहा है
बाणों की एक और शया
सोना पड़ेगा मृत्यु तक
अब केवल उस पर ही...
जब दुनिया में आया था
स्वागत किया था सबने
बिना कुछ किये ही
मिला था सब कुछ
उमीदें थी सब को
भविष्य का
अंकुर समझकर
हर इच्छा
पूरी हुई थी तब.....
जवानी में
अथक काम करके
महल बनाए
खूब पैसा कमाया
न तपती धूप
से डगमगाया
न शरद रातों
को ही सोया
काम किया बस
कल के लिये...
देखते ही देखते
आ गया गल भी
यानी तीसरा दिन
जीवन का
ये तीसरा दिन
कल के काम का नहीं है
इस लिये अर्जुन
बिछा रहा है
बाणों की एक और शया
सोना पड़ेगा मृत्यु तक
अब केवल उस पर ही...