मेरी भारतीय रुह भी
आहत होती है
ऊधम सिंह की
रुह की तरह
जब देखती हैं मानव संहार
कहीं भी
भारत से दूर
मदन लाल ढींगरा
या ऊधम सिंह की
फांसी की खबर सुनकर
वो भी बहुत रोई थी
अपने वतन में
अपनों के साथ।
भगत सिंह, सुखदेव
और राजगुरु
की फांसी से
भारत मां के साथ
मेरी रुह भी
आहत है आज तक
आज तक मेरी रुह
फांसी को केवल
निर्मम हत्या मानती थी
क्योंकि ये सब निर्दोष थे
फांसी केवल
निर्दोषों को मिला करती थी।
पर आज जब
अफजल, कसाब
या मेमन को
फांसी दी गयी
मेरी आत्मा आहत नहीं हुई
क्योंकि वो भी भारतीय है।