सोमवार, दिसंबर 31, 2018

इस नव-वर्ष में.....

केवल 2018 की जगह अब,
2019 हुआ  है,
बताओ, क्या कुछ और बदलेगा?
इस नव-वर्ष में.....
जहां सुरक्षित नहीं,  4 वर्ष की बेटी भी
सुनाई देती हैं अभी भी, चीखें निरभया, गुडिया की,
क्या बेटियां भय मुक्त निकल पाएगी बाहर?
इस नव-वर्ष में.....

क्या नव-विवाहिताएं घरों में सुरक्षित रह पाएंगी?
क्या दहेज के लोभियों की भूख मिट जाएगी?
क्या एक मर्ित  बेटी के पिता को न्याय  मिलेगा?
इस नव-वर्ष में.....

जो जन्म लेना चाहती हैं,
पर गर्भ में ही मार दी जाती हैं।
क्या वो बेटियां  सुरक्षित रह पाएगी?
इस नव-वर्ष में.....
जो कुपोषित और  बिमार हैं,
निर्धनता के कारण  लाचार हैं।
क्या मिल पाएगा उन्हे भर पेट खाना?
इस नव-वर्ष में.....

न बाल-विवाह होने देंगे,
न बालकों को बोझ ढोने देंगे,
आओ सब का जीवन महकाएं.
इस नव-वर्ष में.....

13 टिप्‍पणियां:

  1. केवल 2018 की जगह अब,
    2019 हुआ है,
    बताओ, क्या कुछ और बदलेगा?
    इस नव-वर्ष में.....
    कुछ नहीं बदलेगा...
    मानव और मानव हो जाएगा
    दानव भी द्विगुणित बढ़ जाएगा
    सादर...

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (01-01-2019) को "मंगलमय नववर्ष" (चर्चा अंक-3203) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    नववर्ष-2019 की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. Very Nice.....
    बहुत प्रशंसनीय प्रस्तुति.....
    मेरे ब्लाॅग की नई प्रस्तुति पर आपके विचारों का स्वागत...
    Happy New Year

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  4. नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !

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  5. वाह!!
    बहुत सुन्दर...

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  6. सच है कुछ नहीं बदला इस सिवाए केलेंडर के ... और मन के इस आभार के की कुछ पल जीवन के कम हो गए ...

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  7. तारीखें बदलती है व्यवस्था वहीँ की वहीँ

    जवाब देंहटाएं
  8. सही कहा कुछ नहीं बदला सिवाए कलेंडर की तारीखों के..

    बेहतरीन प्रस्तुति आदरणीय 👌
    सादर

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