इंडिया-इंडिया कहते-कहते,
हम हिंदूस्तान को भूल गये,
आजाद हो गये लेकिन फिर भी,
अपनी पहचान ही भूल गये।...
जलाते हैं दिवाली में पटाखे,
खेलते हैं रंगों से होली,
याद रहा रावण को जलाना,
राम-कृष्ण को भूल गये...
नहीं पता अब बच्चों को,
बुद्ध, महावीर, गोविंद कौन हैं?
मुगलों का इतिहास याद है,
पृथवीराज, राणा को भूल गये...
मां-बाप को आश्रम में भेजकर,
घर में हैं कुत्ते पाले,
फेसबुक, ट्वीटर पर दोस्त कई हैं,
अपने परिवार को भूल गये...
इतिहास में पढ़ाते हैं,
कब कब किसने यहां शासन किया,
हम क्यों विदेशियों के गुलाम हुए,
ये पढ़ाना ही भूल गये...
वापिस लाओ, अपना स्वर्णिम अतीत,
वो संस्कृति, वो सभ्यता,
वर्ना हो जाएंगे फिर गुलाम,
अगर भारत को भूल गये...
हम हिंदूस्तान को भूल गये,
आजाद हो गये लेकिन फिर भी,
अपनी पहचान ही भूल गये।...
जलाते हैं दिवाली में पटाखे,
खेलते हैं रंगों से होली,
याद रहा रावण को जलाना,
राम-कृष्ण को भूल गये...
नहीं पता अब बच्चों को,
बुद्ध, महावीर, गोविंद कौन हैं?
मुगलों का इतिहास याद है,
पृथवीराज, राणा को भूल गये...
मां-बाप को आश्रम में भेजकर,
घर में हैं कुत्ते पाले,
फेसबुक, ट्वीटर पर दोस्त कई हैं,
अपने परिवार को भूल गये...
इतिहास में पढ़ाते हैं,
कब कब किसने यहां शासन किया,
हम क्यों विदेशियों के गुलाम हुए,
ये पढ़ाना ही भूल गये...
वापिस लाओ, अपना स्वर्णिम अतीत,
वो संस्कृति, वो सभ्यता,
वर्ना हो जाएंगे फिर गुलाम,
अगर भारत को भूल गये...
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "शेर ए पंजाब की १५२ वीं जयंती - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंभविष्य की चुनौतियों से निबटने के लिये इतिहास को जानना-समझना ज़रूरी है. विचारणीय रचना.
जवाब देंहटाएंअपने जीवन मूल्यों को भूल जाने का यही परिणाम होता है .
जवाब देंहटाएंउत्तम सोच...!
जवाब देंहटाएंपांच लिंक का आनंद में शायद कोडिंग समस्या है जिससे वह ब्लॉग सीधे लिंक से नहीं खुल पाता है ।