आतंकवाद का जन्म
भूख से हुआ,
जेहाद के कारण,
पला-बढ़ा,
जैसे त्रेता युग में,
राक्षसों ने था आतंक मचाया,
वैसे ही सारी दुनिया में,
भय है आतंकवाद का...
आतंकवादी तो बेचारा,
क्या करे हालात का मारा,
खिलौने नहीं, शस्त्र मिले,
प्रेम नहीं, डंडे खाए,
ज्ञान नहीं, जनून बढ़ाया,
मन से मौत का भय मिटाया।
न जीवन का मोह,
न प्रेम किसी से....
ये दानव भी नहीं,
महा दानव है कोई,
न धर्म है इनका,
न इमान कोई।
कांपती है भारत मां जब,
सुनते हैं पुकार देवता सब,
समझो समय आ गया है,
कलयुग में राम अवतार का...
भूख से हुआ,
जेहाद के कारण,
पला-बढ़ा,
जैसे त्रेता युग में,
राक्षसों ने था आतंक मचाया,
वैसे ही सारी दुनिया में,
भय है आतंकवाद का...
आतंकवादी तो बेचारा,
क्या करे हालात का मारा,
खिलौने नहीं, शस्त्र मिले,
प्रेम नहीं, डंडे खाए,
ज्ञान नहीं, जनून बढ़ाया,
मन से मौत का भय मिटाया।
न जीवन का मोह,
न प्रेम किसी से....
ये दानव भी नहीं,
महा दानव है कोई,
न धर्म है इनका,
न इमान कोई।
कांपती है भारत मां जब,
सुनते हैं पुकार देवता सब,
समझो समय आ गया है,
कलयुग में राम अवतार का...
बहुत सही चित्रण किया है आपने कुलदीप जी -सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना...
जवाब देंहटाएंमगर आतंकवाद का जन्मदाता
धर्म नहीं
सभी धर्मों में सिर्फ प्यार करना सिखाया है
आतंकवाद राजनितिज्ञों के दिमाग की उपज है
एक छोटा सा किस्सा..
एक गिद्ध (राजनीतिज्ञ) के बच्चे ने कहा
पापा इंसान का गोश्त खाना है..
इस पर गिद्ध ने कहा..इन्तजाम करता हूँ
और कहीं से गोश्त के दो बड़े टुकड़े ले आया
इस पर नन्हे गिद्ध ने कहा..
पापा सूअर और गाय का गोश्त थोड़े ही खाना है मुझे
इस पर गिद्ध ने कहा प्रतीक्षा करो..
उसने सूअर को गोश्त मस्ज़िद में और गाय का गोश्त मंदिर मे ड़ाल दिया
और कुछ लड़ाकू किस्म के हिन्दू व मुसलमानोंं बता दिया कि क्या करना है
दूसरे दिन दंगा-फसाद हुआ
हज़ारो लोग मारे गए,,, और बाप ने बेटे की इच्छा पूरी कर दी
सादर