ये वर्ष जा रहा है,
संदेश ये सुना रहा है,
नया एक दिन पुराना होता,
जो आया है, उसे है जाना होता।
वक्त कितनी जल्दि बीत गया,
हो गया पुराना, जो था नया,
ये नया वर्ष भी बीत जाएगा,
फिर एक नया वर्ष आयेगा।
बीता वक्त न वापिस आता,
समय को न कोई रोक पाता।
आलस्य, सुसती से लड़ो,
आज के काम अभी करो....
आया था जब ये वर्ष,
तन-मन में था तब भी हर्ष,
क्या-क्या खुद से वादे किये थे,
अनेकों तुमने संकल्प लिये थे।
कुछ दिनों में सब कुछ भूल गये थे,
पुराने रंग में रंग रहे थे।
यूं ही जीवन बीत रहा है,
लक्ष्य पीछे छूट रहा है।
युवा हो गयी ये सदी,
सो कर मत रहो तुम अभी।
नव-वर्ष तुम्हे जगा रही है,
असंख्य अवसर, दिखा रही है.....
संदेश ये सुना रहा है,
नया एक दिन पुराना होता,
जो आया है, उसे है जाना होता।
वक्त कितनी जल्दि बीत गया,
हो गया पुराना, जो था नया,
ये नया वर्ष भी बीत जाएगा,
फिर एक नया वर्ष आयेगा।
बीता वक्त न वापिस आता,
समय को न कोई रोक पाता।
आलस्य, सुसती से लड़ो,
आज के काम अभी करो....
आया था जब ये वर्ष,
तन-मन में था तब भी हर्ष,
क्या-क्या खुद से वादे किये थे,
अनेकों तुमने संकल्प लिये थे।
कुछ दिनों में सब कुछ भूल गये थे,
पुराने रंग में रंग रहे थे।
यूं ही जीवन बीत रहा है,
लक्ष्य पीछे छूट रहा है।
युवा हो गयी ये सदी,
सो कर मत रहो तुम अभी।
नव-वर्ष तुम्हे जगा रही है,
असंख्य अवसर, दिखा रही है.....
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (31-12-2019) को "भारत की जयकार" (चर्चा अंक-3566) पर भी होगी।--
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
जिस तरह नए वर्ष का जोशोखरोश के साथ स्वागत होता है, वह वर्षभर रहना जरुरी है, तभी सार्थक होगा नववर्ष
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
आपको भी नववर्ष की हार्दिक मंगलमय कामना!
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में बुधवार 01 जनवरी 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंnye saal ki shubhkaamnaayen
जवाब देंहटाएंsarthak rchnaa ke liye bdhaayi