लाखों का सामान खरीदा,
हर बार की तरह दिवाली पर,
नहीं खरीदा एक भी दीपक,
दीपक बिना दिवाली कैसी.....
जगमग है घर आंगन,
रंगीन लड़ियों-लाइटों से,
दीपक नहीं जलाओगे तो,
दीपक बिना दिवाली कैसी.....
लड़ियां-लाइटे खरीद कर,
जगमग हुआ तुम्हारा ही घर,
दीपों से मिटता दो घरों का अंधेरा,
दीपक बिना दिवाली कैसी.....
जब जलता है दीपक पूजा में भी,
फिर मां लक्ष्मी के लिये ये दिखावा क्यों,
श्री राम भी भाव के भूखें हैं,
दीपक बिना दिवाली कैसी.....
दिवाली पर केवल दीप जलाएं,
दिये बनाने वालों को भी हंसाएं,
उनके घरों में भी दिवाली मनेगी,
दीपक बिना दिवाली कैसी.....
हर बार की तरह दिवाली पर,
नहीं खरीदा एक भी दीपक,
दीपक बिना दिवाली कैसी.....
जगमग है घर आंगन,
रंगीन लड़ियों-लाइटों से,
दीपक नहीं जलाओगे तो,
दीपक बिना दिवाली कैसी.....
लड़ियां-लाइटे खरीद कर,
जगमग हुआ तुम्हारा ही घर,
दीपों से मिटता दो घरों का अंधेरा,
दीपक बिना दिवाली कैसी.....
जब जलता है दीपक पूजा में भी,
फिर मां लक्ष्मी के लिये ये दिखावा क्यों,
श्री राम भी भाव के भूखें हैं,
दीपक बिना दिवाली कैसी.....
दिवाली पर केवल दीप जलाएं,
दिये बनाने वालों को भी हंसाएं,
उनके घरों में भी दिवाली मनेगी,
दीपक बिना दिवाली कैसी.....
बहुत सुन्दर रचना । दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं कुलदीप जी ।
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन..
जवाब देंहटाएंसादर..
सुन्दर सन्देश ...
जवाब देंहटाएंबहुत बधाई आपको दीप पर्व की ...
Very good write-up. I certainly love this website. Thanks!
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