शुक्रवार, अगस्त 10, 2018

श्री की जगह शहीद लिखती हूं.......


[मेरी इस कविता में एक शहीद की बेटी के भावों को प्रकट करने का प्रयास किया गया है....}
जब तुम  पापा!
आये थे घर
तिरंगे में लिपटकर
तब मैं बहुत रोई थी....
शायद तब मैं
बहुत छोटी थी,
बताया गया था मुझे,
तुम मर चुके हो....
मुझे याद है पापा!
कहा था जाते हुए तुमने
मैं दिवाली पर आऊंगा,
तुम्हारे लिये बहुत से  उपहार  लेकर.....
तुम्हारी पुचकार से,
मैं हंस पड़ी थी उस दिन
क्या पता था मुझे,
नहीं आओगे लौटकर अब....
जब स्कूल में
बाते करते थे सब
अपने पापा के दुलार की
तब तुम्हारी याद रुलाती थी मुझे....
उमर बढ़ने के साथ साथ
सत्य जाना मैंने,
तुमने मुझे क्या दिया,
अब   उसे पहचाना मैंने....
कौन कहता है,
 तुम  मरे हो,
देखो-देखो तुम  तो
महा-वीरों की कतार में खड़े हो.......
मुझे गर्व होता है,
जब  मैं तुम्हारे   नाम से पहले
श्री की  जगह
शहीद लिखती हूं.......
तुमने तो पापा  
निभा दिया अपना फर्ज
उतार दिया मां का कर्ज,
मां का सर झुकने न दिया.....
अब तो  पापा!
जानते हैं सभी
पहचानते हैं मुझे भी
तुम्हारे नाम से....
ओ पापा!
मेरे पास जीने के लिये,
तुम्हारा नाम ही काफी है,
मत उदास होना कभी मेरे लिये......

11 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, एमएलए साहब का राजनैतिक प्यार “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (12-08-2018) को "बता कहीं दिखा कोई उल्लू" (चर्चा अंक-3061) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. बेहद हृदयस्पर्शी रचना.🙏🙏

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  4. Thank you for the sharing good knowledge and information its very helpful and understanding.. as we are looking for this information since long time. Regards ABHINAV

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  5. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 31 दिसम्बर 2019 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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