सोमवार, अक्टूबर 16, 2017

हम  जलाएंगे  दीपक करेंगे  प्रकाश, तुम्हारे लिये....

तुम बिन पिताजी
अब हम कैसे मनाएंगे दिवाली
अपने हाठों से लाई मिठाई
खाने में वो आनंद नहीं आएगा....
पर इस दिवाली पर भी,
हम  जलाएंगे  दीपक
करेंगे  प्रकाश,
तुम्हारे लिये....
हम  जानते हैं
तुम्हे अपने  घर में
फैला हुआ अंधकार
अच्छा नहीं लगेगा...
हम  ये भी जानते हैं
तुम आओगे
किसी न किसी रूप में
हमारे साथ दिवाली मनाने....
न सजा पाएंगे घर को,
न बन सकेंगे वो पकवान
आहत मन से ही सही
 एक दीपक अवश्य जलाएंगे....

3 टिप्‍पणियां:

  1. पिता के लिए‎ असीम अनुराग भाव से लबरेज सुन्दर‎ सृजन .

    जवाब देंहटाएं
  2. दीप पर्व शुभ हो । सुन्दर रचना।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ख़ूब, दीप पर्व की शुभकामनाएँ

    जवाब देंहटाएं

ये मेरे लिये सौभाग्य की बात है कि आप मेरे ब्लौग पर आये, मेरी ये रचना पढ़ी, रचना के बारे में अपनी टिप्पणी अवश्य दर्ज करें...
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ मुझे उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !