शुक्रवार, अक्टूबर 24, 2014

नहीं चाहते थे दीप बुझना....

नहीं चाहते थे दीप बुझना,
चाहते थे प्रकाश फैलाना,
भाता है दीपों को,
बस केवल जगमगाना...
कुछ बुझाए हवाओं ने,
कुछ में तेल कम था,
कुछ जलते रहे भोर तक,
था लक्ष्य थिमिर को  मिटाना...
बुझते हुए दीपों ने,
कहा बस हम से ये,
जब जब भी अंधकार हो,
केवल हमे ही जलाना...

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर।
    प्रकाशोत्सव के महा पर्व दीपावली की शृंखला में
    पंच पर्वों की आपको शुभकामनाएँ।

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  2. हैप्पी दिवाली ....शुभकामनाएँ आपको

    जवाब देंहटाएं
  3. स्नेहाशीष .......... असीम शुभकामनायें ............
    खुबसूरत अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं

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