[दिनांक 28 जून 2017 को पूजनीय पिता श्री की समृति में जन सेवा के उदेश्य से एक पीने के पानी का नल स्थापित किया गया साथ ही पूजा उपरांत पिता जी की फोटो दिवार पर स्थापित की गयी]
ओ पिता जी
अब तो तुम भी
ईश्वर बन गये हो,
तभी तो
ईश्वर की तसवीर के साथ
तुम्हारी तसवीर भी
हार पहनाकर
दिवार पर टांग दी गयी है....
ये तुम्हारी तसवीर भी
जैसे मानो कह रही हो हम से
मैं मरा नहीं,
अभी भी जीवित हूं,
घर की हर चीज में,
तुम्हारी यादों में भी।
मरते तो हर रोज कई हैं।
पर सब ईश्वर नहीं बनते।....
ओ पिता जी
अब तो तुम भी
ईश्वर बन गये हो,
तभी तो
ईश्वर की तसवीर के साथ
तुम्हारी तसवीर भी
हार पहनाकर
दिवार पर टांग दी गयी है....
ये तुम्हारी तसवीर भी
जैसे मानो कह रही हो हम से
मैं मरा नहीं,
अभी भी जीवित हूं,
घर की हर चीज में,
तुम्हारी यादों में भी।
मरते तो हर रोज कई हैं।
पर सब ईश्वर नहीं बनते।....
शुभ संध्या
जवाब देंहटाएंसादर नमन
सादर नमन है मेरा ...
जवाब देंहटाएंपिता कहीं नहीं जाते पुत्र के रूप में रहते हैं हमेशा ... हर शै में ....
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरूवार (13-07-2017) को "पाप पुराने धोता चल" (चर्चा अंक-2665) (चर्चा अंक-2664) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
नमस्ते ,आपकी लिखी यह रचना "पाँच लिंकों का आनंद "http://halchalwith5links.blogspot.in के 727 वें अंक (गुरूवार 13 -07 -2017 ) में प्रकाशन हेतु लिंक की गयी है । विमर्श में शामिल होने के लिए अवश्य आइयेगा,आप सादर आमंत्रित हैं। सधन्यवाद।
जवाब देंहटाएंसादर नमन
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी पंक्तियाँ कुलदीप जी।
मरते तो रोज कई हैं
जवाब देंहटाएंपर सब ईश्वर नहीं बनते....
जब पुत्र पिता की स्मृति में जनसेवा का कार्य करें...
जनसेवा ही सच्ची प्रभु सेवा है...फिर ऐसे संस्कारों से अपने पुत्र को पोषित करने वाले पिता ईश्वर तुल्य ही हैं...नमन ऐसे महान पिता को...नमन उनके समाजसेवी पुत्र को.....
आपके पूज्य पिताजी को सादर श्रद्धांजलि !
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जवाब देंहटाएंसादर नमन
हृदयस्पर्शी रचना..
आपके पिताजी को श्रद्धानजली .
जवाब देंहटाएंनमन।
जवाब देंहटाएं