[कौलिज के समय लिखी चंद पंखतियां, आज इस ब्लौग पर प्रस्तुत कर रहा हूं]
कभी तो यहां भी आया
करो,
नाम लेकर मेरा
बुलाया करो,
हर महफिल रौशन है
तुम से,
एक दीपक, यहां भी
जलाया करो,
दिन उदास है तुम
बिन,
दिखता है रात को
ख्वाब तुम्हारा
अमावस है जीवन में
आज कल,
चांद बनकर छाया
करो...
पुष्प से प्यारी
तुम्हारी मुस्कान,
कोयल से मीठी तुम्हारी वाणी,
सौंदर्य में तुम रति
हो,
प्रेम गीत, कंठ से
गाया करो...
सोचता हूं कभी कभी,
तुम किस जहां की हूर
हो,
आयी हो यहां किस के
लिये,
ये सच्च भी बताया
करो...
कॉलेज के दिन मस्ती भरे दिन
जवाब देंहटाएंख्यालों में बार बार डूबता मन
बहुत खूब!
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जवाब देंहटाएंसुंदर ।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रेम कविता
जवाब देंहटाएंसच में बहुत अच्छी अभिव्यक्ति!
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