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मंगलवार, जुलाई 07, 2015

हो गया तलाक।

विवाह के
सातों फेरों में
पत्नि अपने
होने वाले पति से
एक के बाद एक
मांगती है वचन।

पती  भी
सहर्ष
बिना अर्थ जाने बिना
दे देता है
सात वचन
एक अभिनेता की तरह।


अदालत से
कागज के कुछ टुकड़े
प्राप्त कर
घर आया
कहा सबने
हो गया तलाक।

पर ये मासूम
जो नहीं जानते
तलाक का अर्थ भी
उन्हे समझाने के लिये
ये कागज के टुकड़े भी
काफी नहीं है।

सोचता रहा
उस रात मैं
कैसे हुआ
आज ये सब
कहां गये
वो कसमे वादे।

विश्वासघात से
ढै  गयी  है
विवाह की
पावन इमारत
जिसके पत्थर
बिखरे हैं इधर-उधर।

तलाक के कागज पर
हस्ताक्षर करना
फांसी के फंदे
 से भी अधिक
पीड़ा दायक होता है
बस    आदमी मरता नहीं है।

1 टिप्पणी:

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