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सोमवार, अगस्त 27, 2012

main kahna chahta hoon. मैं कहना चहाता हूं।


मैं कहना चाहता हूं, इक बातदिवाने से,

कुछ भी हासिल न होगा, व्यर्थ में आँसु बहाने से।

उसे तुझ से प्यार होता, तेरा जीवन तबाह न करति,

पत्थर दिल नहीं पिघलते, किसी के रोने और  मिट जाने से।

सूख रहा है एक गुल, बुलबुल की याद में,

हस्ति तेरी मिट जायेगी, गुल तेरे मुर्झाने से।

शमा को तुझसे प्यार नहीं, मत जा तु उसके पास।

जलाकर राख कर देगा, कहता हूँ परवाने से।

भोली भाली एक चकोरी, चाँद को पाना चाहाति है,

दिल नहीं है चाँद के पास, क्या लाभ है उसे चाहने से।

किसी को भी इतना मत चाहो, जी न पाओ उसके बिना,

जीवन नहीं मरा करता है, किसी के दूर जाने से।

 

1 टिप्पणी:

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