स्वागत व अभिनंदन।

शुक्रवार, अगस्त 31, 2012

main to teri janni hoon. मैं तो तेरी जननी हूं।


खोल  गेट का ताला बेटा,  मैं सड़क पे, तु बिसतर पे लेटा?

मत मुझ पर अत्यचार कर, मैं तु तेरी जननी हूं।

नौ मास तक कोख में पाला, हाथ पकड़ के चलना सिखाया,

पढ़ा लिखाकर शौहरत दिलायी, मैं तु तेरी जननी हूं।

सब कुछ है तेरा कुछ न मेरा, मांग लेता, सब कुछ दे देती।

क्यों घर से मुझे निकाल दिया, मैं तु तेरी जननी हूं।

कल भूखी  रही मैं तेरे लिये,  तु रोटी न देता मैं चुप रह जाती,

ये घर है मेरे प्यार का मन्दिर, मैं तु तेरी जननी हूं।

सोचा था बेटा राम होगा, रावण ने भी मां की पूजा की,

लोगगैर  पीड़ितों की पीड़ा हरते हैं, मैं तु तेरी जननी हूं।

 कल तुझ पर हंसेंगे सब, मुझे सड़क पर देखकर,

कोई मां बेटा न चाहेगी, मैं तु तेरी जननी हूं।

 

 

1 टिप्पणी:

ये मेरे लिये सौभाग्य की बात है कि आप मेरे ब्लौग पर आये, मेरी ये रचना पढ़ी, रचना के बारे में अपनी टिप्पणी अवश्य दर्ज करें...
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ मुझे उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !