स्वागत व अभिनंदन।

रविवार, नवंबर 09, 2014

ये क्रांति लाना चाहता हूं...

तुम दे दो अपने शब्द मुझे,
मैं गीत बनाना चाहता हूं,
सोए हैं जो निदरा में,
उन्हे जगाना चाहता हूं...

नहीं मिलती, मजदूर को मजदूरी,
कर रहा है किसान आत्महत्या,
गांव कली के  हर बच्चे को,
स्कूल भिजवाना चाहता हूं...

प्रताड़ित हो रही   है औरत घर में,
लड़कियों के लिये   पग-पग पे खतरा,
गर्भ में पल रही बेटियों का,
जीवन बचाना चाहता हूं...

मृत हो गया है यौवन आज,
नशे से अनेकों होनहारों का,
नशे के सभी   गिरोह को,
फांसी पे चढ़ाना चाहता हूं....

शोषण न हो किसी का,
सभी को न्याय मिले,
 अंजान न हो   अधिकारों से कोई,
ये क्रांति लाना चाहता हूं...

3 टिप्‍पणियां:

  1. रो कर देखा बहुत,चिल्लाकर देखा बहुत मगर क्या
    इस के लिए क्रांति चाहिए, एक क्रांति मचा डालो :)

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  2. आमीन ... काश की ऐसा समय जल्दी ही आ सके ...

    जवाब देंहटाएं

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