स्वागत व अभिनंदन।

सोमवार, अप्रैल 28, 2014

वक्त देखो ये कैसा आया...



कुत्ते को बिस्तर से  गोदी में उठाया,
भोजन दिया, , फिर नहलाया,
फिर तैयारी के साथ, घुमने चले,
कुत्ते को भी गाड़ी में बिठाया।
फिर कुत्ते को एक केला दिया,
छिलका सड़क पर गिराया।
केले का छिलका देखकर,
भूखा बालक दौड़के आया,
भूख मिटाई खाकर छिलका,
वक्त देखो ये कैसा आया...
 

8 टिप्‍पणियां:

  1. वाह रे कुत्ता तूने क्या जीवन पाया !!

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (29-04-2014) को "संघर्ष अब भी जारी" (चर्चा मंच-1597) पर भी होगी!
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. गहन अर्थ लिए सटीक व्यंग्य
    बहुत खूब ----

    आग्रह है----
    और एक दिन

    जवाब देंहटाएं
  4. गरीब को इंसान कहाँ समझते हैं बहुत से लोग ...
    सामयिक चिंतनशील प्रस्तुति ..

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