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मंगलवार, अक्टूबर 09, 2012

प्रेम पावन


दुनिया में हर रिश्ते को, कोई न कोई नाम मिला,

राधा कृष्ण के रिश्ते को, नाम मिला न अन्जाम मिला।

श्याम की रानियां थी अनेक, न उन में से राधा थी एक।

पर समर्पण था इन सब से अधिक, फिर भी न बैकुन्ठ धाम मिला।





सब ने कहा, मथुरा न जाओ, राधा ने कहा कर्तव्य निभाओ,

राधा का समर्पण, श्याम का स्नेह, राधा को श्याम सा मान मिला।



न आकर्षण, न दिखावा, ये था केवल प्रेम पावन,

ये सुनायी देता था श्याम की मुरली में, इसे जगदीश के हृदय में स्थान मिला।



लक्ष्मी स्वरूपा थी रुख्मणी, पर जग ने राधे श्याम कहा,

प्रेम श्रेष्ठ है भक्ति से, उद्धव को ये ज्ञान मिला।

8 टिप्‍पणियां:

  1. बेहद उम्दा रचना संदीप जी बधाई

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  2. प्रेम श्रेष्ठ है भक्ति से, उद्धव को ये ज्ञान मिला।

    वाह बहुत ही उम्दा रचना………अभी कुछ दिन पहले यही प्रश्न किया था मैने फ़ेसबुक पर
    कृष्ण प्रेमी और कृष्ण भक्त मे क्या कोई अन्तर होता है ?
    और सबने अपने अपने हिसाब से उत्तर दिये अगर देखना चाहें तो आप मेरे पेज पर देख सकते हैं।
    http://www.facebook.com/rosered8flower/posts/3593033476006?ref=notif&notif_t=like
    और अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं।

    जवाब देंहटाएं
  3. वंदना जी, अर्ुन जी तथा ज़ील जी मेरी रचना पर टिप्पणी देने हेतू धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं
  4. गीत के भाव अच्छे है।

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  5. भाव प्रवण खूबसूरत रचना ...

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  6. भाव प्रवण खूबसूरत रचना ...

    जवाब देंहटाएं
  7. भाव प्रवण खूबसूरत रचना ...

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