स्वागत व अभिनंदन।

बुधवार, अप्रैल 06, 2016

आवशयक्ता है जीवन की।

बीते कल ने
अनुभव दिये,
उन अनुभवों से
आज कर्म किये,
अब कल के लिये
कई ख्वाब सजाए,
मन में हैं
कई आशाएं।
आशाएं हैं
जब तक मन में
तब तक मानव
 सुखी है।
जब निर्ाशा
बस गयी मन में,
समझो   मानव
अब  दुखी है।
खुशी और गम
अवस्था है मन की,
ये दोनों ही
आवशयक्ता है जीवन की।


1 टिप्पणी:

ये मेरे लिये सौभाग्य की बात है कि आप मेरे ब्लौग पर आये, मेरी ये रचना पढ़ी, रचना के बारे में अपनी टिप्पणी अवश्य दर्ज करें...
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ मुझे उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !