स्वागत व अभिनंदन।

गुरुवार, फ़रवरी 04, 2016

अगर चलते रहे तो बहुत मिलेंगे

थका नहीं
न पथ भूला
ख्वाबों के टूटने का
गम भी नहीं।
साथ भी हैं
कई चलने वाले
जो छोड़ गये
उनसे गिला भी  नहीं।
ठहरा हूं जब से
हो गया अकेला
सब चलते रहे
कोई रुका भी नहीं
अगर चलते रहे
तो बहुत मिलेंगे
अगर ठहर गये
रहेगी  रुह भी नहीं।

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (05.02.2016) को "हम एक हैं, एक रहेंगे" (चर्चा अंक-2243)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, वहाँ पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।

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  2. वाह...
    तन्हाईयाँ है जो चाहती है कि ठहर जाएँ
    मगर जिंदगी तो किसी को हमसफ़र बनाने में
    और किसी का हमसफ़र हो जाने में है।

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह...
    तन्हाईयाँ है जो चाहती है कि ठहर जाएँ
    मगर जिंदगी तो किसी को हमसफ़र बनाने में
    और किसी का हमसफ़र हो जाने में है।

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