स्वागत व अभिनंदन।

शनिवार, जनवरी 23, 2016

कहां गुमनाम हो गये।

तुम्हारी कुर्वानी से
हम आजाद हो गये
तुम गये कहां
कहां गुमनाम हो गये।
आजादी के बाद
राज मिला उनको
जो देश को भूलकर
राज भोग में खो गये।
जो देखा था
आजादी का सपना तुमने
सपना पूरा हुआ ही था
हम फिर सपनों में खो गये।
अगर होते तुम
देश का ये हाल न होता
तुम्हें मिटाकर वो
खुद दावेदार हो गये।

5 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (23-01-2016) को "कुछ सवाल यूँ ही..." (चर्चा अंक-2231) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन - नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जयंती और रहस्य में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  3. खूबसूरत रचना
    सादर

    जवाब देंहटाएं

ये मेरे लिये सौभाग्य की बात है कि आप मेरे ब्लौग पर आये, मेरी ये रचना पढ़ी, रचना के बारे में अपनी टिप्पणी अवश्य दर्ज करें...
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