स्वागत व अभिनंदन।

गुरुवार, नवंबर 19, 2015

जिंदगी की किताब...

हर जिंदगी
भी शायद
किसी लेखक की
लिखी हुई
किताब होती है...
पर हम
नहीं जान पाते
अपनी किताब के
लेखक को
न पढ़ पाते अगले पन्ने...
कहते हैं
रामायण भी
श्री राम जन्म से
कयी हजार वर्ष पूर्व
लिखी गयी थी...
वो ईश्वर थे
इस लिये शायद
हम जान पाये
उनकी जिंदगी की
किताब के लेखक को...

5 टिप्‍पणियां:

  1. अपनी जिंदगी की किताब लिखना-पढ़ना दोनों कतई आसान नहीं है ...
    बहुत सुन्दर ..

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  2. एक किताब ही तो हैं ज़िन्दगी जिसे सब अपने ढंग से व्याख्यायित करते हैं.

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  3. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार, कल 31 दिसंबर 2015 को में शामिल किया गया है।
    http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमत्रित है ......धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  4. Anupam bhav avm prastuti......
    Nav varsh ki anant shubhkamnayen

    जवाब देंहटाएं

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