अब नहीं होते
चौराहों पर पंगे
न धर्म के नाम पे
हिन्दू मुस्लिम के दंगे।
न सुनाई देता है
मंदिर मस्जिद का शोर
अमन है
अब चारों ओर।
थम जाएगा
भ्रष्टाचार भी
चल रही है लाठी
कड़े कानून की।
पर खतरा है अभी
लोकतंत्र पे,
कटरपंथियों की
विचार धारा से।
चो कह रहे हैं
असहिष्णुता है
नयी सरकार से
खतरा है।
ये साहित्यकार या
अभिनेता नहीं है
ये राजनितिक
कटरपंथी हैं
जब देश में
दल परिवर्तन हुआ।
तभी इनका
उदय हुआ।
कल कहां थे
जब दंगे हुए
आपातकाल में
पंगे हुए।
ये हितेशी नहीं
भारत देश के
ये बोलते हैं
बस पैसों से।
जन मत का
संमान करो
न लोकतंत्र का
अपमान करो।
देश को देखो
किसी दल को नहीं
यहां जनतंत्र है
राज एक दल का नहीं।
चौराहों पर पंगे
न धर्म के नाम पे
हिन्दू मुस्लिम के दंगे।
न सुनाई देता है
मंदिर मस्जिद का शोर
अमन है
अब चारों ओर।
थम जाएगा
भ्रष्टाचार भी
चल रही है लाठी
कड़े कानून की।
पर खतरा है अभी
लोकतंत्र पे,
कटरपंथियों की
विचार धारा से।
चो कह रहे हैं
असहिष्णुता है
नयी सरकार से
खतरा है।
ये साहित्यकार या
अभिनेता नहीं है
ये राजनितिक
कटरपंथी हैं
जब देश में
दल परिवर्तन हुआ।
तभी इनका
उदय हुआ।
कल कहां थे
जब दंगे हुए
आपातकाल में
पंगे हुए।
ये हितेशी नहीं
भारत देश के
ये बोलते हैं
बस पैसों से।
जन मत का
संमान करो
न लोकतंत्र का
अपमान करो।
देश को देखो
किसी दल को नहीं
यहां जनतंत्र है
राज एक दल का नहीं।