स्वागत व अभिनंदन।

गुरुवार, सितंबर 24, 2015

जो नहीं दे रही मुझे मेरा आहार...

मैं सोचता था
भ्रष्टाचार केवल
नेता, अधिकारी,
बड़े व्यपारी
या सरकारी तंत्र के
लोग  ही करते हैं
इन्हे करते देखा भी है...
जब मैंने देखा
1 माह का बच्चा
दूध की बौटल को
मुंह से दूर करते हुए
 जैसे मानो कह रहा हो
भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार
रोते हुए अपनी मां  को
तुम भी भ्रष्टाचारी हो
जो नहीं दे रही मुझे मेरा आहार...

1 टिप्पणी:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (25-09-2015) को "अगर ईश्वर /अल्लाह /ईसा क़त्ल से खुश होता है तो...." (चर्चा अंक-2109) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं

ये मेरे लिये सौभाग्य की बात है कि आप मेरे ब्लौग पर आये, मेरी ये रचना पढ़ी, रचना के बारे में अपनी टिप्पणी अवश्य दर्ज करें...
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ मुझे उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !