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बुधवार, जनवरी 21, 2015

आना है तो, महमान बनके आओ।

आना है तो,  महमान बनके आओ,
तुम क्या हो,  हमे न ये  दिखाओ,
तुम कौन हो,  पता है हमे
हम क्या है, ये भी जान जाओ...
तुम जैसे कयी आये
जय कह गये इस धरा की
जो देखोगे यहां तुम,
कहीं और हमे दिखाओ...
आकर्षण  है इस मिट्टी में
आते हैं सब बार बार,
हकीकत में जीवन जीयो,
ये दिखावा भूल जाओ...
जो देखा है तुमने आज,
हज़ारों वर्ष पहले यहां था,
क्या करना है हमें
हमे न ये सिखायो...

1 टिप्पणी:

  1. आना जाना लगा रहता है ... जिस्म आते हैं चले जाते हैं .. मिटटी मिट जाती है ...

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