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गुरुवार, जून 26, 2014

हम से पूछिये...



क्यों खामोश हैं यहां सब, हम से पूछिये,
जानकर भी अंजान हैं सब, हम से पूछिये।
महफिलों  में चर्चा तो करते हैं सब,
यहां  न बोलेगा कोई, हम से पूछिये...
भीड़ में खड़े हैं, इक लंबी कतार में,
हाथ मिलाना भी मंजूर नहीं, हम से पूछिये...
क्या कहें इनको, जो कहते हों खुद को खुदा,
हकीकत क्या हैं इनकी, हम से पूछिये...
ये गिर्गिट है, जो जानते हैं रंग बदलना,
ये रिशते भी बदलते हैं, हम से पूछिये...

1 टिप्पणी:

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