स्वागत व अभिनंदन।

बुधवार, दिसंबर 26, 2012

नारी तुम और सशक्त बनो...



बन जाएंगे कड़े कानून, थम जाएगी देश में क्रांति,
कोई दरिंदा  दानव  आकर, फैला देगा फिर अशांति,
इस शोर गुल से कुछ न होगा, नारी तुम और सशक्त बनो।
सीता महिनों लंका में रही, न आ सका रावण उसके   पास,
झलकता था भय सीता   में उस को, नारी तुम और सशक्त बनो।
देख लक्ष्मी बाई की तलवार, मान गए थे फिरंगी हार,
कांप रहा था बृटिश   राज, नारी तुम और सशक्त बनो।
कल्पना चावला  से पूछो, क्या थी नारी,
किरण वेदी को देखो, क्या है नारी,
नारी का कल का इतिहास पढ़ो, नारी तुम और सशक्त बनो।
हीरण का शिकार करते हैं सभी, सिंह को कोई न हाथ लगाता,
विक्राल हाथी भी देखो, सिंह के न पास जाता।
जो आज हुआ है कल न होगा, नारी तुम और सशक्त बनो।

गुरुवार, दिसंबर 20, 2012

केवल भ्रम है...



कहां मरा है कीचक अभी,
कीचक न मरेगा कभी,
अगर कीचक मर जाता,
अबलाओं को कैसे नोच पाता।
कीचक को तुमने मार दिया
भीम ये तुम्हारा भ्रम है।

 गांव शहर हर मोड़ पर,
खडा है हैवानियत ओड़ कर,
मासूम नारियों पर करता है  वार,
कहता है समाज उसे बलातकार,
यौनशोषित नारी  जीवित है, 
सभ्य समाज ये तुम्हारा भ्रम है।

पांचाली ने आवाज लगाई,
दी थी श्याम  को वो आवाज सुनाई।
असंख्य नारियां करहा रही है,
श्याम  को बुला रही है,
बचाएंगे    श्याम आकर  लाज,
हिंद की बेटी  ये केवल भ्रम है।

पूजनीय है नारी जहां देवी समान,
होता है नारी का घर घर में संमान,
ये  अमानव दरिंदे कहां से आए,
जो नारी शक्ति को     समझ न पाए,
मिट गयी थी  रावण की हस्ति,
बचोगे तुम, तुम्हारा भ्रम है।

रविवार, दिसंबर 16, 2012

घायल लोकतंत्र

लोकतंत्र घायल पड़ा है, न्याय लहूलुहान पड़ा है,
सुनाई देती है संसद में, नेताओं की उच्छ आकांक्षाएं।

बिछी हुई है शकुनी की चौसर, भारत मां लगी है दाव पर,
सोच रहे हैं धर्मराज, कहीं कृष्ण न आ जाए।

राजधानी में बैठें हैं तकशक, भयभीत हैं देश की जंता,
भिष्म मौन है तब से आज तक, चाह कर भी न बोल पाए।

देखते हैं रोज संसद में तमाशा, फैंककता  है शकुनी वोट का पासा,
कर के नेता अभिनय, केवल जंता को भरमाए।

जागो जंता समय आ गया, लोकतंत्र पर कोहरा छा गया,
बुलाओ सुभाष को राज संभालो, भारत मां बार बार  बुलाए।

गुरुवार, नवंबर 22, 2012

श्रधांजली

लड़ते हैं जो सरहदों पर,सर्वस्व अपना त्याग कर.
धरती है जिनके लिये भगवान, ऐसे वीरों को मेरा प्रणाम.
क्रांति जिनका नारा था, देश खुद से प्यारा था,
देश को है जिनपर अभिमान, ऐसे वीरों को मेरा प्रणाम.
जो वीरता से लड़े थे, खुद सूली पर चढ़े थे,
वीरता थी जिनकी पहचान, ऐसे वीरों को मेरा प्रणाम.
जो सदा के लिये अमर हो गये, शहादत की गोद में सो गये.
मौत का मांगा था वर्दान, ऐसे वीरों को मेरा प्रणाम.
देखकर इनकी कुर्वानी, भर आता है आंख में पानी,
नहीं कर सकता शब्दों से बखान, ऐसे वीरों को मेरा प्रणाम.

रविवार, नवंबर 11, 2012

दिवाली


अमन के रथ पर आयी दिवाली, चारों ओर है खुशहाली।

भूल जाओ अब सारे दुःख, लाई है दिवाली ढेरों सुख।

 सब अधरों पर मुस्कान पाओ, घर में दीपक तभी जलाओ।


जिस गेह में हो अन्धेरा, उस घर में कर दो सवेरा।

आज की रात कोई रोए, भूखे पेट कोई सोए।

रोते हुए बच्चों को हंसाओ, घर में दीपक तभी जलाओ।


अमावस्य की ये काली निशा, दीपों से जगमगाए हर दिशा।

दीपक तो हर घर में जलाए, पर कोई पतंगा मरने पाये।

पहले किसी का घर सजाओ, घर में दीपक तभी जलाओ।


कहता है दिवाली का त्योहार, आपस में सभी करो प्यार।

मज़हब की सभी दिवारे तोड़ो, मानवता से नाता जोड़ो।

दुशमनों को गले लगाओ, घर में दीपक तभी जलाओ।

शुक्रवार, नवंबर 02, 2012

पश्चिमी तुफान


गति तीव्र है, लक्ष्य है भारत, कर रहा है सभ्यता को धुंधला,

बच पायेगा कोई भी इससे, ये पश्चिमी तुफान है।

हम भूल रहे हैं वेद पुराण, दे रहे हैं वृद्धों को संमान,

रह गया है कोई रिश्ता पावन, ये पश्चिमी तुफान है।

भूल गये हम अपनी भाषा, रहन सहन और खान पान भी,

नग्न तन को कहते हैं फैशन, ये पश्चिमी तुफान है।

क्या जानेंगे बच्चे मर्यादाएं, क्या देंगे हम उनको सुसंस्कार,

टीवी, इंटरनैट  गुरूकुल है उनका, ये पश्चिमी तुफान है।

दिवाली की जगह वैलेनटाइन्स डे, दीपक की जगह कृत्रिम लड़ियां,

बच्चों से नहीं कुत्तों से प्यार है, ये पश्चिमी तुफान है।

उगता है सूरज पूरव से, होता है पश्चिम में अस्त,

प्रकाश यहां, अन्धकार वहां है, ये पश्चिमी तुफान है।

आवाहन कर रही है संस्कृति,   रोको इस तुफान की गति,

वापिस लाओ गौरव मयी अतीत, ये पश्चिमी तुफान है।