स्वागत व अभिनंदन।

रविवार, सितंबर 09, 2012

प्यार कभी मरता नहीं है।


प्यार कभी मरता नहीं, जीवित रहता है, मरने के बाद भी

प्यार तन से नहीं होता, प्रेम प्यास है आत्मा की।

शायद इस दुखयारी की, आस्था नहीं है भगवान में,

नित्य पूजा की थाली लेकर, जाती है शमशान में।

वृक्ष के नीचे पूजा करके, दीपक वहाँ जलाती है,

फिर नैनों के जल से उस दीपक को बुझाती है,

जातेहुए कुछ सूखे फूल, बिखेरती उस स्थान में।

नित्य पूजा की थाली लेकर, जाती है शमशान में।

उस के जाने के बाद वहां कोई, रोता हुआ आता है,

उन सूखे हुए फूलों  को, सीने से लगाता है।

फिर बुझा हुआ दीपक जलाकर, उड़ जाता है आसमान में,

नित्य पूजा की थाली लेकर, जाती है शमशान में।

 

13 टिप्‍पणियां:

  1. कुलदीप भाई
    शुभ प्रभात
    आपको हमारी नई-पुरानी हलचल कैसी लगी
    आपकी ये रचना भी मेरे साथ जाने को मचल रही है
    सो लिये जा रही हूँ,...तो आप आइये बुधवार को नई-पुरानी हलचल मे मिल-बैठ कर आप की रचना पढ़ेंगे
    आप सप्ताह में सातों दिन आमंत्रित हैं.. आपको प्रेरणा भी मिलती रहेगी
    सादर

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  2. प्रेम प्यास है आत्मा की..
    और ये कभी ख़त्म नहीं होती
    ........................
    बहुत बेहतरीन अंदाज

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  3. प्यार अनंत और अनवर होता है ..... सुंदर प्रस्तुति

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  4. बहुत ही बढ़िया


    सादर

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  5. उम्दा भाव से संजोई गई रचना...बहुत खूब|

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  6. बहुत सुंदर दर्दभरी प्यार की दास्तान ।

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  7. जिन महान कवियों ने मेरी इस कविता पर टिपणी की है, मैं आप सभी का हार्दिक धन्यवादी हूं।

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  8. कल 26/10/2012 को आपकी यह खूबसूरत पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  9. सुन्दर भावपूर्ण रचना |

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  10. बेनामी4:58 pm

    प्यार नहीं मरता ,,, सच है !!!

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  11. सुन्दर एहसास....

    अनु

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ये मेरे लिये सौभाग्य की बात है कि आप मेरे ब्लौग पर आये, मेरी ये रचना पढ़ी, रचना के बारे में अपनी टिप्पणी अवश्य दर्ज करें...
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