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शनिवार, मई 09, 2020

मातृ दिवस--विशेष:शायद ये कलियुग ही है,हम मात्री दिवस मनाते हैं,



मां जब तक धरा पर रहती है,
सुत की खातिर दुख सहती है,
खुद भूखी रह, उसे खिलाती,
कभी ईशवर, गुरु बन जाती।
चिंता करती सुत की हर पल,
देती आशीश, सुनहरा हो कल।
सबसे बड़ा मंदिर है घर,
मां ही है, वहां  पर ईश्वर,
नहीं देखा ईश्वर को कभी,
करते हैं पूजा उसकी फिर भी।
जड़ के सूख जाने पर,
 हर   वृक्ष  सूख जाता है,
निज फूलों को मुरझाते देख,
केवल मां वृक्ष ही मुरझाता है।
शायद ये कलियुग ही है,
हम मात्री दिवस मनाते हैं,
मां की ममता को सीमित करके,
हम हर्षित हो जाते हैं।
नहीं चाहिये मां को दिवस,
मां देख के तुम्हे, खुश होजाती है,
रूखा सूखा जो भी दोगे,
दे आशीष तुम्हे, सो जाती है.।

शुक्रवार, मई 08, 2020

हम जो कल थे, आज भी हैं,

सारा विश्व तो  प्राजित हो गया,
अब तुम ही अपनी शक्ती दिखाओ,
हे ज्ञान दीप हे श्रेष्ठ  भारत!
 इस करोना पर भी  विजय पाओ।
हमारे पास है अलौकिक ज्ञान,
उपनिशद और वेद पुराण,
संजीवनी की खोज करके तुम,
जग में सब का जीवन बचाओ।
घर पर बैठ गया है आदमी,
 हो गया बेबस, लाचार   आदमी,
मिट गयी है धरा की रौनक,
फिर  धरा पर खुशहाली लाओ।
कांप रही है विश्व शक्तियां,
चूर हो गया अहंकार उनका,
हम जो कल थे, आज भी हैं,
दुनियां को ये  ऐहसास दिलाओ।
जब-जब धरा पर संकट आया,
भारत ने ही विश्व बचाया,
तुम्हारी ओर ही देख रहा है जग,
धरा को करोना मुक्त बनाओ।