स्वागत व अभिनंदन।

शनिवार, अगस्त 03, 2019

मेंहदी  

जब टूटता  हैं,
  पती पत्नी का पावन रिशता,
तब रोती है मेंहदी,
क्योंकि उसने ही,
इनके जीवन में
 प्रेम के रंग भरे थे......
मेंहदी  चाहती है,
सब में प्यार बढ़े,
केवल   प्रेम हो,
कोई आपस में न लड़े,
किसी के घर न टूटे,
किसी से बच्चे न छूटें.....
   मेंहदी  कहती है, 
अब विवाह केवल
पावन बंधन नहीं,
समझौता बन कर रह गया है।
कृतरिमता के इस दौर में,
मेरा मोल भी घटने लगा है.....