ये भीख मांग रहे बच्चे,
किस धर्म के हैं?
इनकी जात क्या है?
न हिंदू को इस से मतलब,
न मुस्लमान को.......
कारखानों या ढाबों पर,
काम कर रहे बच्चों से
नहीं पूछते उनका मजहब।
कोई नहीं पहचानता,
ये उनकी जात, मजहब के हैं....
जब एक बेटी का
जबरन बाल-विवाह होता है,
साथ देते हैं सब,
जात-मजहब के लोग,
नहीं करता कोई भी विरोध इसका.....
पर रेप या हत्या के बाद
पहचान लेते हैं सब
पिड़ित या निरजीव शव को
ये हमारे मजहब का था,
मारने वाले दूसरे मजहब के......
निरभया का नाम छुपाया गया,
गुड़िया का नाम भी दबाया गया,
देदेते आसिफा को भी कोई और नाम।
वो केवल मासूम बेटी थी,
क्यों बताया गया उसका मजहब क्या था....
काश हर मजहब के लोग,
अपने मजहब को समझ पाते,
न रेप होता, न हत्या।
यहां तो हर घटना को
राजनीति रंग में रंगा जाता है.....
किस धर्म के हैं?
इनकी जात क्या है?
न हिंदू को इस से मतलब,
न मुस्लमान को.......
कारखानों या ढाबों पर,
काम कर रहे बच्चों से
नहीं पूछते उनका मजहब।
कोई नहीं पहचानता,
ये उनकी जात, मजहब के हैं....
जब एक बेटी का
जबरन बाल-विवाह होता है,
साथ देते हैं सब,
जात-मजहब के लोग,
नहीं करता कोई भी विरोध इसका.....
पर रेप या हत्या के बाद
पहचान लेते हैं सब
पिड़ित या निरजीव शव को
ये हमारे मजहब का था,
मारने वाले दूसरे मजहब के......
निरभया का नाम छुपाया गया,
गुड़िया का नाम भी दबाया गया,
देदेते आसिफा को भी कोई और नाम।
वो केवल मासूम बेटी थी,
क्यों बताया गया उसका मजहब क्या था....
काश हर मजहब के लोग,
अपने मजहब को समझ पाते,
न रेप होता, न हत्या।
यहां तो हर घटना को
राजनीति रंग में रंगा जाता है.....