स्वागत व अभिनंदन।

शुक्रवार, मार्च 13, 2015

उदय होता सूरज

उदय होता सूरज
जगाता है मुझे
मैं कौन हूं
बताता है मुझे।
नशवर है जीवन
ओस  की बूंदों सा
मिटाकर उन्हे
दिखाता है मुझे।
पूछता है मुझसे
मेरे मन की पीड़ा
जलकर खुद ही
दिखाता है मुझे।
केवल कर्म करो
करता हूं जैसे मैं
फल तो मिलेगा ही
समझाता है मुझे।