स्वागत व अभिनंदन।

बुधवार, मार्च 27, 2013

मना रहे हैं सब मिलकर होली।

आती है होली हर बार,
लेकर रंगों की भरमार,
महक रही है प्रेम से धर्ती,
मना रहे हैं सब मिलकर होली।

सभी गले मिल रहे हैं,
प्रेम के फूल खिल रहे हैं,
देकर इक दुजे  को शुभकामनाएं,
मना रहे हैं सब मिलकर होली।

नफरत की जगह है दिलों में प्यार,
न जाती धर्म की है दिवार,
गिले शिकवे सब भूलकर,
मना रहे हैं सब मिलकर होली।

है होली का ये संदेश,
न नफरत न रखो क्लेश,
ऐसे लगे नित्य धरा पर,
मना रहे हैं सब मिलकर होली।
मना रहे हैं सब मिलकर होली।

रविवार, मार्च 17, 2013

मैं वोही करण हूं...

मैं वोही करण हूं जिसे कल,
  नदि में तुमने बहा दिया था,
आज आया हूं फिर धरा पर,
वोही हुआ फिर मेरे साथ...

मां कल बताई थी तुमने,
रो रोकर अपनी मजबूरी,
फिर किया है आज   मेरा त्याग,
क्या इतने वर्षों में न बदलले हालात...

जानता हूं तुम तो आज भी,
बतादोगी बेवशता पहले सी,
स्वार्थवश फिर कभी तुम,
रख दोगी मेरे सर पे हाथ...

फिर किसी राधा का आंचल मिलेगा,
ममता से मेरा बचपन खिलेगा,
न दे सकेगी वो मुझे पहचान,
बाणों की फिर होगी बरसात...

दानवीरता बनेगी मौत का कारण,
मित्र मिलेगा कोई दुर्योधन,
सेवा करके भी  मिलेगा शाप,
भाई से होगी केवल  रण में मुलाकात...

शनिवार, मार्च 16, 2013

मिलन न होगा...

कहा था तुमने कभी मुझसे,
सदा मुस्कुराना...
होंठों की इस मुस्कान को,
कभी न मिटाना...

उस वक्त मैंने भी आप से ये
वादा किया था...
तुम्हारे प्रेम  का तुम से,
सुंदर तोफा लिया था...
न जान सका तुम कहां गई,
नामुमकिन था तुम्हे भूल जाना...

फिर तुमसी जीवन में कोई और मिली,
चंद क्षणों के लिए प्रेम की कली खिली,
सोचा तुम फिर आ गयी,
पर वो तुम नहीं थी...
वो मिटाने आई थी मेरे अधरों की मुस्कान,
वो नागिन है, मैंने न पहचाना...
अब न प्रीय तुम हो,
न अब वो पहले सी  मुस्कान है,
तुम कहां हो, मैं कहां हूं,
हम दोनों ही अंजान  है...
मिलन न होगा चाहत है दिल में,
भाता है मन को, तुम पर कविता बनाना...

सोमवार, मार्च 04, 2013

कोई ऐसा गीत सुना दे।



कोकिला तु आज मुझे कोई ऐसा गीत सुनादे।
जो अतर्मन  में बस जाए, बीते  दिनों की याद भुलादे।

जो लिखा हो गीत मेरे लिए, हर शब्द हो जिस में प्रेम का,
वफा की महक हो जिसमे, मौन अधरों को हंसा दे।

किसी गीतकार के पास जाना, मेरे गमों की दास्ता सुनाना,
पवन से शीतलता ले जाना, जो सुंदर गीत बना दे।

प्रथम सुंदर उपवन  में जाना, वहां से प्रेम के पुष्प  लाना,
उन्हे इस चमन में लगाना,  मेरा उजड़ा चमन महका दे।

फिर यमुना तड पे जाना, श्याम की बंसी सुनकर आना,
वो प्यारी धुन मेरे कानों को भी  सुनाना, जो मेरी रुह को महकादे।


गीत इस मस्ति में गाना, जीवन में नए रंग भर दे।
इस टूटे दिल में फिर से, प्ेम की शीतल  गंगा बहादे।